देहरादून, आम आदमी प्रदेश कार्यालय मे आज प्रदेश संगठन समन्वयक जोत सिंह बिष्ट ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि जिस राज्य का मुख्यमंत्री आवास कानून व्यवस्था घेरे में आ गया हो उस राज्य की मनोदशा कैसी होगी यह आज के दिन उत्तराखंड का सबसे ज्वलंत प्रश्न हैं। उन्होंने कहा कि राज्य का जन मानस अंकिता हत्याकांड के सदमे से उबर नहीं पाया था कि सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले जिस में 2012 के दिल्ली के छावला में पहाड़ की बेटी किरण नेगी के बलात्कारियों और हत्यारों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी किए जाने से पूरा उत्तराखंड हतोत्साहित व आक्रोशित था और गुमसुम था। ऐसे निराशाजनक माहौल से बेखबर उत्तराखंड सरकार 9 नवम्बर से लगातार जश्न के माहौल में डूबी हुए हैं। सरकार की बेखबरी का आलम ऐसा था कि कल एक और बेटी ने जीवन से तंग आकर दुनिया से अलविदा हो गई, फासी लगाकर जान दे दी। आत्महत्या की यह घटना उस जगह पर घटित हुई जो राज्य का सबसे सुरक्षित स्थान हैं। घटना स्थल राज्य के मुख्यमंत्री का निवास हैं। राज्य की जनता जब अपनी समस्याओं के निदान के लिए सब जगह से थक हार जाती हैं तब अंतिम आसरे या उम्मीद के रूप में वह मुख्यमंत्री आवास का रुख करती हैं। उसी मुख्यमंत्री आवास पर ऊखीमठ की बेटी की आत्महत्या की घटना ने कानून व्यवस्था का प्रश्न खड़ा कर दिया हैं।
उन्होंने कहा कि इससे उत्तराखंड की जनता के मन में मुख्यमंत्री के प्रति अविश्वास की भावना पैदा होती है और राज्य के मुख्यमंत्री जी बड़ी बड़ी बाते कर रहे हैं। बड़ी बड़ी कागजी घोषणा कर रहे हैं। कभी मोदी जी की तरह फोटो शूट कर रहे हैं, तो कभी हरीश रावत की नकल कर रहे हैं। कुछ दिन पहले मुख्य मंत्री जी का गाय की सेवा का एक वीडीयों भी सामने आया था। अपनी ऐसी ही कामकाजी व्यस्तता के बीच मुख्यमंत्री जी की नजर गाय से आगे अपने गाय पालक के परिवार की समस्याओं की ओर नहीं गई। इसी को कहते “चिराग तले अंधेरा”। जब मुख्य मंत्री आवास में रहने वाले लोगों का भरोसा टूट जाए, उन्हे अपनी समस्या के समाधान के लिए मुख्य मंत्री से न्याय की उम्मीद खत्म हो जाए, तभी एक पढ़ी लिखी बेटी आत्महत्या जैसा कदम उठाएगी। क्योंकि उसके पास रहने, खाने या पढ़ाई लिखाई करने जैसी कोई समस्या नहीं थी। फिर भी उसे आत्महत्या के लिये क्यों मजबूर होना पड़ा इस सवाल का सही जवाब मिलेगा भी या नहीं और अगर मिलेगा तो क्या वह सार्वजनिक होगा या फिर अंकित हत्या कांड के कारक टप्च् के नाम की तरह दबा दिया जाएगा।
भाजपा की पिछली सरकार में एक व्यापारी द्वारा भाजपा के एक मंत्री के जनता दरबार में आत्महत्या की गई थी कुल मिलाकर भाजपा की इस सरकार से और राज्य के मुख्य मंत्री से मुख्यमंत्री आवास में निवास करने वाले लोगों का विश्वास खत्म हो गया, जिसकी परिनीति कल एक बेटी की आत्महत्या की घटना हैं, ऐसे में राज्य की जनता मुख्यमंत्री और सरकार पर कैसे विश्वास कर सकती हैं। नैतिकता का तकाजा है कि जब सरकार पर या मुख्यमंत्री पर जनता का विश्वास ना रहे तो सरकार को बने रहने का कोई औचित्य नहीं होता। अब देखना यह है कि अब मुख्यमंत्री जी नैतिकता का पालन करते हैं या फिर कुर्सी से चिपके रहने के लिए मामले की लीपापोती करवाते हैं। प्रेस वार्ता के दौरान प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ आर पी रतूड़ी, हिम्मत सिंह बिष्ट, गढ़वाल मीडिया प्रभारी रविंद्र सिंह आनंद डी के पाल, प्रदेश प्रवक्ता विपिन खन्ना ,कमलेश रमन ,अशोक सेमवाल आदि उपस्थित रहे।