देहरादून, क्रिस्चियन हॉस्पिटल (बुरास और शिफा प्रोजेक्ट) के तहत मारीवाला हेल्थ इनिशिएटिव के सहयोग से समुदाय मानसिक स्वास्थ्य पर दो दिवसय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में इस बात पर ध्यान दिया गया की उत्तर भारत में समुदाय में मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए पहल हो रही है। इस ज्ञान को एक दूसरों के साथ साझा किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य हिंदी भाषी उत्तर भारत में बभिन्न संस्थाओं द्वारा किये जा रहे सर्वाेत्तम कार्य योजनाओं को अवसर प्रदान करना था और मानसिक स्वास्थ्य के लिए एक साथ आवाज उठाने और कार्य करने की हमारी क्षमता को मजबूत करने के लिए नेटवर्क का निर्माण करना था। मस्ती भरी गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक समावेश पर ध्यान केंद्रित किया गया था, जिसमें उत्तर भारत के ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों पर नीतिगत ध्यान देने की मांग की गई था जहां मानसिक स्वास्थ्य अक्सर पहुंच से बाहर होती है। संगोष्ठी का उद्देश्य सामुदायिक कार्यकर्ताओं के योगदान को स्वीकार करना था, बुरास ने मानसिक स्वास्थ्य समस्या वाले पड़ोसियों की सहायता करने जैसी प्रथाओं के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य के लिए स्थानीय संपत्तियों और संसाधनों के मूल्य को बढ़ावा दिया। उत्तरकाशी से आये अनुभव से विशेषज्ञ ने मनोसामाजिक देखभाल के लिए समुदायों में संसाधनों और संपत्तियों के साथ-साथ देखभाल तक पहुंच के बारे में अपने अनुभव और चुनौतियों को साझा किया।
डॉ संतोष ने समुदायक मानसिक स्वास्थ्य पर किये जा रहे कार्य के बारे में बताया और विभन्न राज्यों से आये संस्थाओं को अपना हर संभव सहयोग देने की बात कही। दिल्ली से आये मनोचिकित्सिक डॉ अलोक मरीन ने दवाई के साथ साथ सामाजिक सपोर्ट की बात पर ज्यादा जोर दिया। सेलाकुई राज्य मानसिक संस्थान से डॉ बर्मन, डॉ सुरेंदर डलवाल, राज्य मानसिक आयोग से डॉ कृष्ण, जिला मानसिक कार्यक्रम से डॉ निशा सिंगला आदि ने भी अपने विचार रखे। इस संगोष्ठी में महाराष्ट्र उत्तरप्रदेश, झारखण्ड, बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली गुजरात और उत्तराखंड से आयी स्वयंसेवी संस्थाओं ने प्रतिभाग किया।